राँची, 20.11.2010 : आज राजस्व एवं भूमि सुधार, मंत्री, श्री मथुरा प्रसाद महतो ने बी0सी0सी0एल0, सी0सी0एल0 और ई0सी0एल0 के अधिकारियों के साथ बैठक की । इसके अलावा झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकार के अधिकारियों के साथ भी बैठक हुई । बैठक में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के विषेष सचिव, अजय रस्तोगी भी मौजूद थे । बैठक में कोल इंडिया की झारखण्ड स्थित विभिन्न परियोजनाओं के भूमि संबंधी मामलों, विस्थापितों की समस्याओं और पुनर्वास संबंधी विषयों पर चर्चा हुई । बैठक में विभागीय अधिकारियों ने कोल इंडिया द्वारा राज्य की भूमि के उपयोग के एवज में राजस्व का भुगतान नहीं किये जाने का मामला प्रस्तुत किया ।
समीक्षा में यह बात सामने आयी कि प्रारंभ से अब तक कोल इंडिया कम्पनियों द्वारा हजारों एकड़ गैर मजरूआ जमीन का उपयोग किये जाने के एवज में राजस्व का भुगतान नहीं किये जाने के कारण राज्य को काफी राजस्व की क्षति हुई है । मंत्री, श्री महतो ने इस रािष का अविलम्ब भुगतान करने का निर्देष दिया ।
इस संबंध में दिसम्बर में बैठक की जायेगी ।
झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकार के अधिकारियों ने झरिया के अग्नि प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के पुनर्वास संबंधी योजना एवं कार्यो का विवरण प्रस्तुत किया । इस कार्य में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में आ रही जटिलताओं की भी जानकारी दी गई । मंत्री, श्री मथुरा प्रसाद महतो ने सुझाव दिया कि जिन कोलियरियों से कोयले की निकासी हो चुकी है, उन जमीनों को भरकर दुबारा समुचित उपयोग किया जाय । इससे विस्थापितों के पुनर्वास हेतु ज्यादा जमीन अधिग्रहण की समस्या नहीं आयेगी ।
समीक्षा में यह बात सामने आयी कि प्रारंभ से अब तक कोल इंडिया कम्पनियों द्वारा हजारों एकड़ गैर मजरूआ जमीन का उपयोग किये जाने के एवज में राजस्व का भुगतान नहीं किये जाने के कारण राज्य को काफी राजस्व की क्षति हुई है । मंत्री, श्री महतो ने इस रािष का अविलम्ब भुगतान करने का निर्देष दिया ।
इस संबंध में दिसम्बर में बैठक की जायेगी ।
झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकार के अधिकारियों ने झरिया के अग्नि प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के पुनर्वास संबंधी योजना एवं कार्यो का विवरण प्रस्तुत किया । इस कार्य में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में आ रही जटिलताओं की भी जानकारी दी गई । मंत्री, श्री मथुरा प्रसाद महतो ने सुझाव दिया कि जिन कोलियरियों से कोयले की निकासी हो चुकी है, उन जमीनों को भरकर दुबारा समुचित उपयोग किया जाय । इससे विस्थापितों के पुनर्वास हेतु ज्यादा जमीन अधिग्रहण की समस्या नहीं आयेगी ।